भारत में "Fasting" को "उपवास" और "व्रत" भी कहा जाता है। उपवास का अर्थ है भोजन का त्याग करना या सीमित मात्रा में भोजन करना, जो आमतौर पर धार्मिक या आध्यात्मिक कारणों से किया जाता है। व्रत भी इसी प्रकार का होता है, लेकिन इसमें विशेष प्रकार की नियमबद्धता और नियमों का पालन करना होता है। दोनों ही शब्द भारतीय संस्कृति और धार्मिक प्रथाओं में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उपवास और व्रत को मानसिक और शारीरिक शुद्धि का साधन माना जाता है और यह व्यक्ति की आत्मिक उन्नति में सहायक होते हैं।
भारत में व्रत का इतिहास बहुत प्राचीन है। व्रत का उल्लेख वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में भी मिलता है। ऋग्वेद, जो कि भारत का सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है, उसमें भी उपवास का उल्लेख है। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में भी व्रत और उपवास के विभिन्न रूपों का वर्णन है। यह प्रथा हिन्दू धर्म, जैन धर्म, और बौद्ध धर्म सहित कई धर्मों में प्रमुख रूप से पाई जाती है।
फास्टिंग को विश्वभर में विभिन्न नामों से जाना जाता है
1. इंटरमिटेंट फास्टिंग - यह समय-समय पर उपवास रखने की एक विधि है।
2. रमजान का रोज़ा - इस्लाम में रमजान के महीने में उपवास रखा जाता है।
3. लेंट - ईसाई धर्म में ईस्टर से पहले 40 दिन का उपवास।
4. यॉम किप्पूर - यहूदी धर्म में प्रायश्चित का उपवास।
5. कारवा चौथ - भारत में महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत।
फास्टिंग के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे
1. वजन घटाना - फास्टिंग से कैलोरी की खपत कम होती है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।
2. मेटाबोलिज्म में सुधार - उपवास मेटाबोलिक दर को बढ़ाता है।
3. बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन - शरीर के टॉक्सिन्स को निकालने में मदद करता है।
4. मानसिक स्पष्टता - मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
5. दीर्घायु - कई अध्ययन बताते हैं कि फास्टिंग से जीवन प्रत्याशा बढ़ती है।
विदेशों में फास्टिंग की खोज
फास्टिंग का इतिहास प्राचीन समय से ही चला आ रहा है, लेकिन इसके वैज्ञानिक अध्ययन और स्वास्थ्य लाभ पर खोजें 20वीं शताब्दी के मध्य में जोर पकड़ने लगीं। 1960 और 1970 के दशक में कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने फास्टिंग के स्वास्थ्य लाभों पर गहन अध्ययन किया।
प्रमुख शोधकर्ता और खोजें
1. डॉ. योशिनोरी ओह्सुमी - 2016 में नोबेल पुरस्कार विजेता, उन्होंने ऑटोफैगी (Autophagy) पर शोध किया, जिसमें फास्टिंग के दौरान कोशिकाएं अपने आप साफ होती हैं।
2. वाल्टर लोंगो - इंटरमिटेंट फास्टिंग और दीर्घायु पर अध्ययन के लिए प्रसिद्ध।
3. डॉ. जेसन फंग - फास्टिंग पर आधारित कई पुस्तकों के लेखक, जिनमें उन्होंने टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे के इलाज के लिए फास्टिंग की महत्ता पर जोर दिया है।
फास्टिंग पर किए गए शोधों को कई प्रमुख पुरस्कार और मान्यताएं मिली हैं
1. नोबेल पुरस्कार - डॉ. योशिनोरी ओह्सुमी को 2016 में मेडिसिन में ऑटोफैगी के लिए।
2. वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशन - फास्टिंग पर किए गए शोधों को प्रमुख स्वास्थ्य और विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है।
निष्कर्ष: व्रत और फास्टिंग की परंपरा विश्वभर में प्राचीन काल से चली आ रही है और इसके स्वास्थ्य लाभों पर आधुनिक वैज्ञानिक शोधों ने भी मुहर लगाई है। चाहे यह धार्मिक उद्देश्यों के लिए हो या स्वास्थ्य लाभ के लिए, फास्टिंग का प्रभावशाली इतिहास और वैज्ञानिक समर्थन इसे एक महत्वपूर्ण प्रथा बनाते हैं। भारत में इसकी गहरी जड़ें हैं और विश्वभर में इसके विभिन्न रूपों को अपनाया गया है, जो इसे एक वैश्विक परंपरा बनाते हैं।