ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश राज तक - भारत पर कब्जे की कहानी

भारत पर अंग्रेजों का कब्जा एक लंबी और जटिल प्रक्रिया थी जो लगभग दो शताब्दियों तक चली। शुरुआत में व्यापारिक हितों के साथ आए अंग्रेजों ने धीरे-धीरे राजनीतिक और सैन्य शक्ति के माध्यम से पूरे उपमहाद्वीप पर नियंत्रण स्थापित किया। इस लेख में हम ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की भारत में प्रविष्टि से लेकर 1947 में भारतीय स्वतंत्रता तक के ऐतिहासिक घटनाक्रम का विश्लेषण करेंगे।

From the East India Company to the British Raj - The story of the occupation of India

ईस्ट इंडिया कंपनी की भारत में प्रविष्टि

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन 1600 में हुआ था, जिसका उद्देश्य भारत और पूर्वी एशिया के साथ व्यापार करना था। 1608 में कंपनी का पहला जहाज सूरत बंदरगाह पर पहुँचा। 1615 में, सर थॉमस रो ने मुग़ल सम्राट जहाँगीर के दरबार में व्यापारिक अधिकार प्राप्त करने के लिए सफलतापूर्वक बातचीत की। 


प्रारंभिक व्यापारिक विस्तार

कंपनी ने सूरत, मद्रास (चेन्नई), बंबई (मुंबई), और कलकत्ता (कोलकाता) में व्यापारिक केंद्र स्थापित किए। 1690 के दशक तक, कंपनी का व्यापारिक विस्तार बढ़ता गया और उसने स्थानीय शासकों के साथ व्यापारिक संधियाँ कीं।


प्लासी की लड़ाई (1757)

अंग्रेजों ने 18वीं सदी में अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए सैन्य हस्तक्षेप शुरू किया। 1757 में, रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने प्लासी की लड़ाई में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराया। इस विजय ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल पर नियंत्रण स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया और भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखी।


बक्सर की लड़ाई (1764)

बक्सर की लड़ाई में कंपनी ने मुग़ल सम्राट शाह आलम II, अवध के नवाब शुजाउद्दौला, और बंगाल के पूर्व नवाब मीर कासिम की संयुक्त सेना को हराया। इस विजय ने कंपनी को बंगाल, बिहार, और उड़ीसा के दीवानी अधिकार (राजस्व संग्रह के अधिकार) प्रदान किए।


क्षेत्रीय विस्तार और कंपनी का शासन

1765 से 1857 तक, ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के विभिन्न हिस्सों पर धीरे-धीरे नियंत्रण स्थापित किया। कंपनी ने स्थानीय शासकों के साथ संधियाँ कीं और कई क्षेत्रों को सीधे प्रशासनिक नियंत्रण में लिया। इसके साथ ही, कंपनी ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाया और स्थानीय सेना को प्रशिक्षित किया।


मराठा और मैसूर के साथ संघर्ष

1. मैसूर युद्ध:

   - कंपनी ने चार एंग्लो-मैसूर युद्ध (1767-1799) लड़े, जिनमें मैसूर के शासक हैदर अली और उनके पुत्र टीपू सुल्तान प्रमुख थे। 1799 में श्रीरंगपट्टम की लड़ाई में टीपू सुल्तान की हार और मृत्यु के बाद, मैसूर कंपनी के अधीन आ गया।


2. मराठा युद्ध:

   - कंपनी ने तीन एंग्लो-मराठा युद्ध (1775-1818) लड़े। 1818 में पेशवा बाजीराव द्वितीय की हार के बाद, मराठा साम्राज्य का अंत हो गया और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।


1857 का विद्रोह

1857 में, भारत में अंग्रेजों के खिलाफ पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ, जिसे सिपाही विद्रोह या भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। इस विद्रोह में भारतीय सैनिकों, शासकों और आम जनता ने भाग लिया, लेकिन इसे अंग्रेजों ने बर्बरता से कुचल दिया। इस विद्रोह ने अंग्रेजों को यह महसूस कराया कि कंपनी के शासन में सुधार की आवश्यकता है।


ब्रिटिश राज की स्थापना

विद्रोह के बाद, 1858 में ब्रिटिश सरकार ने सीधे भारत का शासन अपने हाथों में ले लिया। ईस्ट इंडिया कंपनी को भंग कर दिया गया और भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत हुई। इस समय को ब्रिटिश राज कहा जाता है।


ब्रिटिश प्रशासनिक सुधार और नीतियाँ

ब्रिटिश राज के दौरान, प्रशासनिक सुधार किए गए और नई नीतियाँ लागू की गईं:

1. प्रशासनिक ढाँचा: गवर्नर-जनरल (बाद में वायसराय) के अधीन एक केंद्रीकृत प्रशासनिक ढाँचा स्थापित किया गया।

2. रेलवे और टेलीग्राफ: परिवहन और संचार के साधनों का विस्तार किया गया।

3. शिक्षा: अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का विस्तार किया गया और विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।

4. कृषि और उद्योग: कैश क्रॉप्स (जैसे कपास, चाय, और नील) के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया और उद्योगों का विकास किया गया।


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में, भारत में स्वतंत्रता संग्राम ने जोर पकड़ा। कांग्रेस पार्टी और अन्य राष्ट्रवादी संगठनों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन चलाया। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस  जैसे भारतीयों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


1947 में स्वतंत्रता

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अंग्रेजों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई और भारत में स्वतंत्रता आंदोलन ने तेज़ी पकड़ ली। 1947 में, अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया। 15 अगस्त 1947 को, भारत दो स्वतंत्र राष्ट्रों – भारत और पाकिस्तान – में विभाजित हो गया।


निष्कर्ष: भारत पर अंग्रेजों का कब्जा एक लंबी और जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें सैन्य, राजनीतिक, और आर्थिक कारकों का महत्वपूर्ण योगदान था। ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक हितों से शुरू होकर ब्रिटिश राज के दौरान प्रशासनिक सुधारों तक, इस प्रक्रिया ने भारत के इतिहास को गहराई से प्रभावित किया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता ने एक नए युग की शुरुआत की, जिसने उपमहाद्वीप के भविष्य को पुनः परिभाषित किया।

Mr. KUKREJA

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