दोजी बारा अकाल (1876-1878) को भारत के इतिहास में सबसे भीषण और विनाशकारी अकालों में से एक माना जाता है। इस अकाल ने मुख्य रूप से दक्षिण भारत के मद्रास, बॉम्बे, मैसूर और हैदराबाद एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों को प्रभावित किया था। इस अकाल ने लाखों लोगों की जान ले ली और भारतीय समाज में गहरे घाव छोड़ दिए।
अकाल के कारण क्या थे।
दोजी बारा अकाल के प्रमुख कारणों में सूखा, ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियां और प्राकृतिक आपदाएं शामिल थीं। 1876 में अल नीनो प्रभाव के कारण वर्षा की कमी हो गई, जिससे फसलें नष्ट हो गईं। इसके अतिरिक्त, ब्रिटिश सरकार की नीतियों ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया।
ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड लिटन ने इस अवधि में भी इंग्लैंड को बड़े पैमाने पर अनाज का निर्यात जारी रखा। इंग्लैंड को 3,20,000 टन गेहूं निर्यात किया गया, जिससे भारतीय जनता के लिए खाद्य सुरक्षा कम हो गई और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई।
मृत्यु दर और अकाल का प्रभाव
इस अकाल के दौरान अनुमानित 5.5 मिलियन से 10 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई। कई क्षेत्रों में खाद्य आपूर्ति की कमी और बीमारी के कारण लाखों लोग मारे गए। मैसूर राज्य में, 874,000 लोगों की जनसंख्या में कमी आई। लोग अपने जीवन को बचाने के लिए अन्य क्षेत्रों में पलायन करने लगे।
अकाल उपरांत ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया
ब्रिटिश सरकार ने राहत कार्यों के लिए केवल मामूली धनराशि खर्च की। उन्होंने कुल 37.2 मिलियन रुपये राहत कार्यों में खर्च किए, जो प्रति व्यक्ति बहुत ही कम था। राहत कार्यों में विशेष रूप से मैसूर राज्य में रिलीफ किचन का संचालन और बैंगलोर-मायसोर रेलवे लाइन पर कार्य करने के बदले भोजन और अनाज दिया जाता था।
अकाल के परिणाम
इस अकाल के परिणामस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा मिली। भारतीय नेताओं ने ब्रिटिश शासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की और एक सशक्त आंदोलन का निर्माण किया। दोजी बारा अकाल ने 1880 में फेमिन कमीशन की स्थापना की प्रेरणा दी, जिसने भविष्य में इस प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर नीतियों को लागू किया।
निष्कर्ष: दोजी बारा अकाल भारतीय इतिहास का एक दुखद अध्याय है जो हमें औपनिवेशिक शोषण और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को समझने में मदद करता है। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि संकट के समय में मानवीयता और उचित नीतियों का कितना महत्व है।
FAQ
1. दोजी बारा अकाल कब हुआ था?
- दोजी बारा अकाल 1876 से 1878 के बीच हुआ था।
2. इस अकाल के प्रमुख कारण क्या थे?
- इस अकाल के प्रमुख कारणों में सूखा, अल नीनो प्रभाव और ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियां शामिल थीं।
3. इस अकाल के दौरान कितने लोग मारे गए थे?
- इस अकाल के दौरान अनुमानित 5.5 मिलियन से 10 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई थी।
4. ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया क्या थी?
- ब्रिटिश सरकार ने मामूली राहत कार्यों के लिए 37.2 मिलियन रुपये खर्च किए, जो प्रति व्यक्ति बहुत ही कम था।
5. इस अकाल के क्या परिणाम हुए?
- इस अकाल के परिणामस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरणा मिली और 1880 में फेमिन कमीशन की स्थापना हुई।
इस ब्लॉग के अंत में हम यही कहना चाहेंगे कि दोजी बारा अकाल जैसे घटनाओं से हमें सीखना चाहिए और भविष्य में ऐसे संकटों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप हमारे ब्लॉग पर टिप्पणी कर सकते हैं, जिसका हम उत्तर देंगे।
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