स्वामी विवेकानंद का जीवन असाधारण और प्रेरणादायक था। उनका असली नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था और वे 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में जन्मे थे। उनके पिता, विश्वनाथ दत्त, एक प्रतिष्ठित वकील थे और उनकी माँ, भुवनेश्वरी देवी, धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। नरेन्द्रनाथ के जीवन पर उनके माता-पिता का गहरा प्रभाव पड़ा।
स्वामी विवेकानंद प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
नरेन्द्रनाथ की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। वे अत्यंत बुद्धिमान और जिज्ञासु थे। उनके अंदर धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों के प्रति गहरी रुचि थी। उन्होंने पश्चिमी और भारतीय दर्शन दोनों में गहन अध्ययन किया। नरेन्द्रनाथ ने प्रेसीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज में अध्ययन किया, जहाँ उन्होंने दर्शनशास्त्र, साहित्य, इतिहास और सामाजिक विज्ञानों का अध्ययन किया।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के साथ मुलाकात
नरेन्द्रनाथ की मुलाकात स्वामी रामकृष्ण परमहंस से 1881 में हुई। रामकृष्ण परमहंस ने नरेन्द्रनाथ को आध्यात्मिकता का सही अर्थ समझाया और उनकी आंतरिक चेतना को जागृत किया। इस मुलाकात के बाद नरेन्द्रनाथ ने अपना जीवन रामकृष्ण के प्रति समर्पित कर दिया। रामकृष्ण परमहंस के निधन के बाद, नरेन्द्रनाथ ने स्वयं को एक संन्यासी के रूप में स्थापित किया और उनका नाम स्वामी विवेकानंद रखा गया।
भारत की आध्यात्मिक धरोहर का प्रचार
स्वामी विवेकानंद ने भारत की आध्यात्मिक धरोहर को पूरे विश्व में प्रचारित किया। उन्होंने 1893 में शिकागो के विश्व धर्म महासभा में भाग लिया और अपने प्रभावशाली भाषण से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके उद्घाटन भाषण के शब्द "मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों" आज भी प्रसिद्ध हैं। इस भाषण ने भारत की संस्कृति और धार्मिक सहिष्णुता का विश्वभर में प्रचार किया।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना
स्वामी विवेकानंद ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस मिशन का उद्देश्य मानवता की सेवा करना और समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार करना था। रामकृष्ण मिशन ने शिक्षा, चिकित्सा, और समाजसेवा के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
साहित्य और लेखन
स्वामी विवेकानंद ने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, जिनमें "राजयोग", "ज्ञानयोग", "भक्तियोग", और "कर्मयोग" प्रमुख हैं। उनके व्याख्यान और पत्र आज भी अनेक लोगों को प्रेरित करते हैं।
स्वामी विवेकानंद का अंतिम दिन
स्वामी विवेकानंद का निधन 39 वर्ष की आयु में 4 जुलाई, 1902 को हुआ। उनके जीवन का संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली अध्याय आज भी अनगिनत लोगों को प्रेरणा देता है। उन्होंने अपने जीवन में जो शिक्षाएँ दीं और जो कार्य किए, वे आज भी मानवता के लिए मार्गदर्शन के रूप में काम करते हैं।
स्वामी विवेकानंद का जीवन हमें यह सिखाता है कि आत्मज्ञान और सेवा का मार्ग ही सच्ची सफलता का मार्ग है। उनकी शिक्षाएँ और विचार आज भी प्रासंगिक हैं और हमें एक बेहतर समाज की दिशा में प्रेरित करते हैं।