भोजपुर मंदिर का संपूर्ण इतिहास और इससे जुड़ी कहानिय

भोजपुर मंदिर, जिसे भोजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां पर स्थापित शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में राजा भोज द्वारा कराया गया था, और इस कारण से इसे 'भोजपुर' नाम दिया गया।

Complete history of Bhojpur temple and stories related to it

मंदिर के निर्माण की विभिन्न कहानियाँ

भीम द्वारा निर्माण की मान्यता

एक प्रचलित कथा के अनुसार, पांडवों के वनवास के दौरान भीम ने भोजपुर मंदिर का निर्माण शुरू किया था। इस कथा के अनुसार, भीम ने शिवलिंग की स्थापना की और मंदिर के निर्माण का प्रारंभ किया। पांडवों को कौरवों की सेना द्वारा खोजा जा रहा था, जिससे उन्हें इस स्थान से छोड़ना पड़ा। परिणामस्वरूप, मंदिर का निर्माण अधूरा रह गया। यह मान्यता है कि भीम ने अपने सामर्थ्य से मंदिर की नींव रखी, लेकिन कौरवों की सेना के आने के कारण उसे अधूरा छोड़ना पड़ा। यह कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है, और इसे ऐतिहासिक प्रमाणों पर आधारित नहीं माना जा सकता। फिर भी, इस कथा के कारण भोजपुर मंदिर को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है और श्रद्धालुओं के बीच यह लोकप्रिय है।

राजा भोज द्वारा निर्माण का प्रयास

इसके बाद, 11वीं सदी में राजा भोज ने मंदिर के निर्माण को पूरा करने का प्रयास किया। राजा भोज ने इस मंदिर को विशाल आकार में विस्तारित किया और इसके निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया। उनका उद्देश्य एक भव्य शिव मंदिर बनाना था, जो उनकी धार्मिक आस्था और स्थापत्य कला के प्रति समर्पण को दर्शाता है। राजा भोज के प्रयासों के बावजूद, मंदिर का निर्माण अधूरा ही रह गया, लेकिन इसका वर्तमान स्वरूप और भव्यता आज भी दर्शनीय है।

मंदिर की स्थापत्य कला

भोजपुर मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। यह मंदिर उत्तर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है, और इसमें किसी भी प्रकार के जोड़ का उपयोग नहीं किया गया है। इस मंदिर के निर्माण में विशाल पत्थरों का उपयोग किया गया, और इसका आर्किटेक्चर उस समय के लिए बहुत उन्नत था। शिवलिंग को एक ही पत्थर से तराश कर बनाया गया है, जो लगभग 18 फीट ऊंचा और 7.5 फीट चौड़ा है।

मंदिर का पुनर्निर्माण और संरक्षण

भोजपुर मंदिर का पुनर्निर्माण और संरक्षण कार्य विभिन्न समय पर किया गया। आधुनिक युग में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस मंदिर की मरम्मत और संरक्षण का कार्य अपने हाथ में लिया। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में और 21वीं सदी के प्रारंभ में इस मंदिर का विस्तार और संरक्षण कार्य किया गया, जिससे इसकी महत्ता को बनाए रखा जा सके.

भोजपुर मंदिर से जुड़ी प्रमुख कहानियाँ

  • राजा भोज की बीमारी: राजा भोज को एक गंभीर बीमारी से ग्रसित होने पर ऋषियों और ब्राह्मणों ने उन्हें एक विशाल शिव मंदिर बनवाने का सुझाव दिया, जिसे सुनने के बाद राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण शुरू किया।
  • अधूरी आकांक्षा: मंदिर के अधूरे निर्माण के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि राजा भोज के राज्य में अचानक युद्ध छिड़ गया और उन्हें युद्ध के मैदान में जाना पड़ा, जिससे मंदिर का निर्माण कार्य अधूरा रह गया।
  • भीम द्वारा मंदिर का निर्माण: यह मान्यता भी है कि पांडवों के वनवास के समय भीम ने इस मंदिर का निर्माण शुरू करवाया था। कौरवों की सेना द्वारा खोजे जाने के कारण, पांडवों को इस स्थान से छोड़ना पड़ा, जिससे मंदिर का निर्माण अधूरा रह गया। इसके बाद राजा भोज ने इस मंदिर को पूरा करने का प्रयास किया।

मंदिर का महत्व और आधुनिक समय में इसे पुनर्जीवित करने के प्रयास

भोजपुर मंदिर की स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व इसे भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल करते हैं। हर साल यहां लाखों भक्त शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। आधुनिक समय में भी इस मंदिर की महत्ता को बनाए रखने के लिए सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।

FAQ

प्रश्न: भोजपुर मंदिर का निर्माण किसने और कब किया था?
उत्तर: भोजपुर मंदिर का निर्माण पांडवों के वनवास के दौरान महाबली भीम ने शुरू किया था, और 11वीं सदी में राजा भोज ने इसके निर्माण को पूरा करने का प्रयास किया।
प्रश्न: भोजपुर मंदिर का शिवलिंग कितना बड़ा है?
उत्तर: भोजपुर मंदिर का शिवलिंग लगभग 18 फीट ऊंचा और 7.5 फीट चौड़ा है।
प्रश्न: भोजपुर मंदिर का निर्माण अधूरा क्यों रह गया?
उत्तर: मंदिर का निर्माण अधूरा रहने के पीछे मुख्य कारण कौरवों की सेना द्वारा पांडवों की खोज और राजा भोज के युद्ध में शामिल होने के साथ-साथ अन्य राजनीतिक व युद्ध स्थितियों का भी होना है, जिससे निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका।
प्रश्न: भीम द्वारा मंदिर के निर्माण की क्या कथा है?
उत्तर: कहा जाता है कि पांडवों के वनवास के समय भीम ने इस मंदिर का निर्माण शुरू करवाया था। कौरवों की सेना द्वारा खोजे जाने के कारण, पांडवों को इस स्थान से छोड़ना पड़ा, जिससे मंदिर का निर्माण अधूरा रह गया। इसके बाद राजा भोज ने इस मंदिर को पूरा करने का प्रयास किया।
प्रश्न: भोजपुर मंदिर का पुनर्निर्माण कब हुआ?
उत्तर: 20वीं सदी के उत्तरार्ध और 21वीं सदी के प्रारंभ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण और संरक्षण किया गया।

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